अपने अधिकारों के लिए लडऩे वाले खिलाडिय़ों को न्याय मिलना चाहिए : करहाना

कहा, पहलवानों के आरोपों को दबाने से भारतीय खेलों को नुकसान होगा

अपने अधिकारों के लिए लडऩे वाले खिलाडिय़ों को न्याय मिलना चाहिए : करहाना

नई दिल्ली : भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के खिलाड़ी आयोग के सदस्य ओम प्रकाश करहाना भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीडऩ और डराने-धमकाने का आरोप लगाने वाले प्रदर्शनकारी पहलवानों के समर्थन में आए और उन्होंने मंगलवार को कहा कि ‘अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे खिलाडिय़ोंको न्याय मिलना चाहिए।’। पूर्व राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक गोला फेंक खिलाड़ी और एशियाई चैंपियन 36 वर्षीय करहाना ने कहा कि पहलवानों के आरोपों को दबाने से भारतीय खेलों को नुकसान होगा क्योंकि खिलाडिय़ों का व्यवस्था में विश्वास खत्म हो जाएगा।

पिछले साल संन्यास लेने वाले करहाना ने पीटीआई से कहा, ‘‘मैं खिलाड़ी आयोग की ओर से नहीं बोल रहा हूं लेकिन मेरा व्यक्तिगत विचार है कि अगर खिलाड़ी अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए सामने आए हैं तो देश की व्यवस्था को जल्द से जल्द उन्हें न्याय दिलाने के लिए कदम उठाने चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विशेष रूप से महिला खिलाडय़िों से संबंधित मामले में अधिकारियों को चीजों को छिपाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। यह एक गंभीर मामला है और सच्चाई का पता लगाने के लिए उचित और निष्पक्ष प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।’’ लंदन 2012 ओलंपियन करहाना ने कहा, ‘‘इस बारे में चीजें साफ होनी चाहिए कि कौन गलत काम कर रहा है- चाहे वह आरोपी हो या आरोप लगाने वाला।’’ सात पहलवानों द्वारा बृजभूषण के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद दिल्ली पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने में समय लिया। पिछले शुक्रवार को बृजभूषण के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गईं। चक्का फेंक में 20.69 मीटर के निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ पुरुषों में 20 मीटर का आंकड़ा पार करने वाले तीसरे भारतीय करहाना हो लगता है कि पहलवानों के विरोध का भारतीय खेलों पर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा,‘‘मैं एक गांव से आता हूं और कई गांवों में अभी भी महिलाओं को खेल खेलने के लिए हतोत्साहित किया जाता है।

इसलिए यदि अधिकारी मामले को गंभीरता से नहीं लेते हैं और निष्पक्ष प्रक्रिया के तहत महिला खिलाडय़िों के आरोपों की जांच नहीं करते तो कोई भी माता-पिता उन्हें बाहर जाने और खेलने की अनुमति नहीं देंगे।’’ करहाना ने कहा, ‘‘आखिरकार यह देश का नुकसान होगा क्योंकि गांवों के प्रतिभाशाली खिलाड़ी खेलों को नहीं अपना पाएंगे।’’ करहाना ने 2009 में एशियाई चैंपियनशिप में गोला फेंका का स्वर्ण जीता था और इसके बाद 2011 और 2013 में दो कांस्य पदक जीते। पहलवानों के 24 अप्रैल को अपना धरना फिर से शुरू करने के बाद 10 सदस्यीय खिलाड़ी आयोग ने कोई रूख नहीं अपनाया है। हालांकि कुछ सदस्यों ने व्यक्तिगत रूप से पहलवानों के साथ अपनी एकजुटता दिखाई है। करहाना ने कहा, ‘‘एक संस्था के रूप में खिलाड़ी आयोग ने सामूहिक बयान जारी नहीं किया है लेकिन कुछ व्यक्तिगत सदस्यों ने ऐसा किया है। खिलाड़ी आयोग (पूर्ण अधिकारों और शक्तियों के साथ) एक नई अवधारणा है इसलिए इसके अधिकारों और कर्तव्यों पर कुछ भ्रम हो सकता है। कुछ सदस्यों को अपनी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के बारे में पूरी तरह से पता भी नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम भी सीख रहे हैं और इसलिए इसमें समय लग रहा है। हम अब भी इस मामले पर चर्चा कर रहे हैं और मुझे उम्मीद है कि खिलाड़ी आयोग से एक बयान आएगा।’’ करहाना सहित खिलाड़ी आयोग के छह सदस्यों ने शनिवार को बैठक की और आईओए को खिलाडय़िों के मुद्दों से सम्मान के साथ निपटने के लिए उचित व्यवस्था करने की सिफारिश की। बैठक के दौरान क्या हुआ इस पर करहाना बोलने को तैयार नहीं थे। उन्होंने कहा कि केवल आयोग के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष ही सार्वजनिक बयान जारी कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बैठक के दौरान की चर्चा के बारे में नहीं बता सकता। लेकिन अगर खिलाडय़िों की बेहतरी के लिए गठित आयोग उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं देता है तो और कौन देगा। मैं यही कह सकता हूं।