भारत 36 साल से दिल्ली में कोई टेस्ट नहीं हारा

यहां आखिरी हार तब हुई थी जब सचिन ने डेब्यू नहीं किया था, कोहली पैदा नहीं हुए थे

भारत 36 साल से दिल्ली में कोई टेस्ट नहीं हारा

नई दिल्ली- भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बीजीटी यानी बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी का दूसरा टेस्ट दिल्ली में खेला जाएगा। यह आठवीं बार होगा जब दिल्ली में दोनों टीम एक-दूसरे के सामने होंगी। भारतीय टीम पिछले 36 साल से टेस्ट में इस मैदान पर अजेय रही है। इस दौरान टीम ने यहां खेले 12 में से 10 मुकाबले अपने नाम किए हैं, जबकि सिर्फ 2 ड्रॉ रहे हैं। आखिरी बार भारत को इस मैदान पर हार वेस्टइंडीज के खिलाफ 1987 में मिली थी। हालांकि, उस टीम में गार्डन ग्रीनिज, विव रिचर्ड्स, मैल्कम मार्शल जैसे सितारे थे। उस समय सचिन ने डेब्यू नहीं किया था, कोहली पैदा भी नहीं हुए थे और रोहित सिर्फ 7 महीने के थे। टीम इंडिया यहां ऑस्ट्रेलिया समेत पाकिस्तान, श्रीलंका, वेस्टइंडीज, साउथ अफ्रीका को धूल चटा चुकी है। ऑस्ट्रेलिया को यहां आखिरी जीत 64 साल पहले 1959 में मिली थी और उसके बाद से टीम 6 में से 3 मुकाबले हार चुकी है। दिल्ली और चेन्नई भारत के उन मैदानों में से हैं जहां 5 से ज्यादा मुकाबले खेलकर ऑस्ट्रेलिया का जीत प्रतिशत सबसे खराब है।

क्यों जरूरी है दिल्ली टेस्ट

दिल्ली टेस्ट भारत के जीतना जरूरी है, क्योंकि अगर भारत जीतता है तो टेस्ट रैंकिंग में नंबर 1 बन जाएगा। साथ ही, वल्र्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में अपना स्थान तय कर लेगा। इस टेस्ट में जीत भारत को तीनों फॉर्मेट में नंबर 1 बना देगी।

2013 में दिल्ली आई थी ऑस्ट्रेलिया टीम

दिल्ली के इस मैदान पर ऑस्ट्रेलिया आखिरी बार 2013 में टेस्ट खेलने आया था। उस दौरान भारत यहां 6 विकेट से जीता था। लगभग 10 साल बाद दोनों टीम इस मैदान पर आमने सामने होंगी।

1987 हारा था भारत

अरुण जेटली स्टेडियम में भारत आखिरी बार 1987 में वेस्टइंडीज के खिलाफ हारा था। इसके बाद इस मैदान पर 12 टेस्ट हुए, जिसमें से 2 ड्रॉ हुए और 10 जीते। आखिरी टेस्ट भारत ने श्रीलंका खिलाफ 2017 में खेला था जो ड्रॉ रहा था।

कोहली का होम ग्राउंड

दिल्ली का यह मैदान विराट कोहली, गौतम गंभीर, वीरेंद्र सेहवाग, इशांत शर्मा और आशीष नेहरा जैसे दिग्गजों का होम ग्राउंड है, लेकिन यहां सबसे ज्यादा रन सचिन तेंदुलकर ने बनाए है। सचिन ने यहां 10 मैच और 19 इनिंग्स में 759 रन स्कोर किए हैं। वहीं गेंदबाजी में अनिल कुंबले के नाम यहां सबसे ज्यादा (58) विकेट हैं। शुरुआती दिनों में पिच बल्लेबाजी के लिए बेहतरीन रहेगी। जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ेगा, स्पिनर फिर अपना जादू दिखाएंगे। अरुण जेटली स्टेडियम के इस ट्रैक पर बहुत कम उछाल है और बल्लेबाजों के लिए यह ट्रैक मुश्किल साबित होगा। इस मैदान पर पहली पारी का औसत 342 रन है, जबकि चौथी पारी का औसत स्कोर 165 रन रहा है।

पुराने स्टेडियम में से एक

अरुण जेटली स्टेडियम अपने पुराने नाम फिरोज शाह कोटला ग्राउंड नाम से अधिक लोकप्रिय है। यहां पहला टेस्ट 10 नवंबर 1948 को वेस्ट इंडीज के खिलाफ खेला गया था। यह मैच ड्रॉ रहा था। वेस्टइंडीज भारत में 5 मैचों की सीरीज खेलने आया था। स्टेडियम की क्षमता 40,000 से ज्यादा दर्शकों की है।