मणिपुर हिंसा पर निंदा प्रस्ताव की विपक्ष की मांग नामंजूर

विधानसभा कल तक के लिये स्थगित, दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धाजंलि अर्पित

मणिपुर हिंसा पर निंदा प्रस्ताव की विपक्ष की मांग नामंजूर

लखनऊ : मणिपुर हिंसा पर निंदा प्रस्ताव की मांग को लेकर विपक्षी दलों ने सोमवार को शुरू हुये उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में भारी हंगामा किया जिसके बाद सदन की कार्यवाही मंगलवार सुबह 11 बजे तक के स्थगित कर दी गयी। विधानसभा में दिवंगत पूर्व सदस्यों को दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धाजंलि अर्पित की गयी जिसके बाद नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने मणिपुर हिंसा को लेकर सदन में निंदा प्रस्ताव लाने की मांग की जिसे विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने यह कहते हुये अस्वीकार कर दिया कि सदन में प्रदेश से संबंधित समस्यायों पर ही चर्चा की जा सकती है। इस पर सपा के अलावा राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) और कांग्रेस के सदस्य शोरशराबा करने लगे और बेल पर आकर नारेबाजी करने लगे। सपा सदस्यों के हाथों में तख्तियां थी जिस पर बेरोजगारी, किसानों की समस्या,भ्रष्टाचार को लेकर नारे लिखे थे।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार दिन के उजाले में भी कुछ देखना नहीं चाहती। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है और इस नाते उसे मणिपुर की घटना पर निंदा प्रस्ताव लाने की जरूरत है। उन्होने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर इशारा करते हुये कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्यमंत्री होने के नाते आपकी कुछ मजबूरियां हो सकती हैं मगर एक सच्चे योगी के रूप में विपक्ष आपसे मणिपुर के बारे में कुछ बोलने की अपेक्षा करता है। मणिपुर हिंसा की यूरोप और अमेरिका में भी निंदा की गयी तो अपने ही देश के सबसे बड़े राज्य में इसकों लेकर चर्चा होनी चाहिये। इस पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि विपक्ष सदन का समय खराब कर रहा है। विपक्षी सदस्यों ने कैराना और जवाहरबाग की घटना पर कभी भी निंदा प्रस्ताव पारित करने की मांग नहीं की। प्रदेश में बेहतर कानून व्यवस्था देश में रोल माडल बनी हुयी है जिसके अन्य प्रदेश अनुसरण करने का प्रयास कर रहे हैं। श्री महाना ने कहा कि सदन में न तो बंगाल,केरल की घटनाओं की चर्चा होगी और न ही मणिपुर की घटना के लिये निंदा प्रस्ताव लाने की अनुमति दी जायेगी। मणिपुर की घटना पर चर्चा के लिये वहां की विधानसभा है या फिर लोकसभा है। सदन में सिर्फ प्रदेश से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा होगी। प्रश्नकाल में अधिकतर सवाल विपक्षी सदस्यों के ही होते हैं जिनका जवाब देने के लिये सरकार बैठी है। सदन को राजनीति का मंच न बना कर सदस्यों को अपने क्षेत्र की समस्यायों को सदन के पटल पर रखना चाहिये ताकि लोगों का भला हो सके।

उन्होंने कहा कि सदन नियम से चलेगा। हंगामा कर रहे सदस्यों की तरफ इशारा करते हुये उन्होने कहा कि सदन की कार्यवाही वह स्थगित नहीं करेंगे। हंगामे से कुछ नहीं होगा,सरकार चर्चा को तैयार है। इस पर विपक्षी दल शांत नहीं हुये और नारेबाजी करते हुये बेल पर आ गये। भारी शोरशराबे और हंगामें के बीच श्री महाना ने नियम 301 के तहत सूचनायें ली गयीं। इस दौरान विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच संसदीय कार्यमंत्री के आग्रह पर सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिये स्थगित कर दी गयी। दोपहर एक बजे सदन की कार्यवाही फिर शुरू हुयी मगर सपा और रालोद सदस्य नारेबाजी करते रहे। इस बीच प्रदेश सरकार की ओर से जारी 13 अध्यादेश विधेयक के रूप में सदन के पटल पर रखे गये। इससे पहले सदन ने पूर्व विधायक स्वर्गीय सत्तार अंसारी,अमर सिंह, प्रेम प्रकाश सिंह,रणधीर सिंह, सुजान सिंह बुंदेला , शारदा प्रताप शुक्ला, हरिशंकर तिवारी,अवनीश कुमार सिंह,हरिद्वार दुबे, अबरार अहमद, खालिद अजीम अशरफ , अतीक अहमद,को श्रृद्धांजलि अर्पित की।

सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सदन में जन सरोकार से जुड़े मुद्दों पर सार्थक चर्चा की जरूरत है। सर्वदलीय बैठक में भी सभी दलों के नेताओं से भी स्वस्थ चर्चा को लेकर बात कही गई थी। उन्होने कहा कि सरकार उम्मीद करती है कि विपक्ष सदन की कार्यवाही में पूरा सहयोग देगा और अपने क्षेत्र की समस्यायों को सदन के पटल पर रखेगा। श्री योगी ने कहा कि पिछले छह सालों मेंप्रदेश में विकास की नई ऊंचाइयों को छुआ है। सरकार के प्रयासों से प्रति व्यक्ति आये में इजाफा हुआ है और प्रदेश देश में अग्रणी अर्थव्यवस्था बनने की तरफ आगे बढ़ा है। प्रदेश मेें कहीं सूखा तो कहीं बाढ की समस्या है। हम सदन में इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करेंगे। मुझे विश्वास है कि आम जनमानस के मुद्दे पर सदस्य चर्चा करेंगे।