अवैध शुल्क मामले में बार काउंसिल आफ इंडिया व उत्तराखंड से जवाब तलब

मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ ने सत्य देव त्यागी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद ये नोटिस जारी किये।

अवैध शुल्क मामले में बार काउंसिल आफ इंडिया व उत्तराखंड से जवाब तलब

नैनीताल - अधिवक्ताओं की शिकायत के मामले में उत्तराखंड बार काउंसिल की ओर से वसूली जा रही नाजायज फीस के मामले में उच्च न्यायालय ने बार काउंसिल आफ इंडिया और बार काउंसिल आफ उत्तराखंड को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ ने सत्य देव त्यागी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद ये नोटिस जारी किये।

याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि उत्तराखंड बार काउंसिल की ओर से किसी अधिवक्ता की शिकायत करने पर लोगों से 5500 रुपये की भारीभरकम शुल्क वसूला जा रहा है जबकि बार काउंसिल आफ इंडिया की ओर से यह राशि 450 रुपये तय की गयी है।

याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि बार काउंसिल ने एक प्रस्ताव पास कर यह राशि 450 से बढ़ाकर 5500 कर दी है। जो कि गलत है। इतनी अधिक फीस के चलते लोग दोषी अधिवक्ताओं के खिलाफ शिकायत कर पाने में असक्षम साबित होंगे।

याचिकाकर्ता की ओर से मांग की गयी कि उत्तराखंड बार काउंसिल का यह कदम निषेधात्मक है और इसे रद्द किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि बार काउंसिल ने अपने जवाब में कहा है कि गलत और फालतू शिकायतों को रोकने के लिये बार कौंलिस की ओर से यह कदम उठाया गया है।

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि बार काउंसिल का यह निर्णय जनहित के खिलाफ है। बार काउंसिल शिकायत दर्ज होने से पहले ही उसका फैसला नहीं कर सकता है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डा0 कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि पीठ ने बार काउंसिल आफ इंडिया व उत्तराखंड को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिये हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 13 जून को होगी।