रूस ने जी 20 संस्कृति मंत्रियों की बैठक का राजनीतिकरण करने के प्रयासों की निंदा की

कहा, ‘हमारा काम दुनिया की सांस्कृतिक विरासत के लाभ के लिए संबंधों को संरक्षित करना और बढ़ाना है

रूस ने जी 20 संस्कृति मंत्रियों की बैठक का राजनीतिकरण करने के प्रयासों की निंदा की

नई दिल्ली : रूस के प्रथम उप संस्कृति मंत्री सर्गेई ओब्रीवालिन ने शनिवार को कहा कि उनका देश जी20 संस्कृति मंत्रियों की बैठक के राजनीतिकरण के प्रयास निंदा करता है और इसी ने समूह को आम सहमति तक पहुंचने और अंतिम घोषणा को अपनाने से रोक दिया। श्री ओब्रीवालिन ने कहा, ‘हमारा काम दुनिया की सांस्कृतिक विरासत के लाभ के लिए संबंधों को संरक्षित करना और बढ़ाना है। हालांकि, मुझे हमारी बैठक में कुछ प्रतिभागियों के कई पक्षपातपूर्ण राजनीतिक बयान देखकर अफसोस हुआ है, जिसने हमें आम सहमति तक पहुंचने और अंतिम घोषणा को अपनाने से रोका। इस तरह की बयानबाजी जी20 प्रारूप के ढांचे के भीतर क्षेत्रीय संवाद के काम को जटिल बनाती है। यह सतत विकास लक्ष्यों की उपलब्धि में बाधा डालती है।’

उन्होंने कहा कि रूस उन दावों को खारिज करता है जिसमें कहा गया है कि उसने यूक्रेन में शत्रुता के दौरान सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा पर कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का कथित तौर पर उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा इस बीच, यूक्रेन के सेना कर्मियों, उपकरणों और गोला-बारूद को तैनात करने के लिए सांस्कृतिक वस्तुओं का उपयोग कर रही है, इस प्रकार वे उक्त समझौतों का उल्लंघन कर रही है। उन्होंने कहा, रूस लगातार सांस्कृतिक क्षेत्र के राजनीतिकरण का विरोध करता है और अंतिम दस्तावेज़ में यूक्रेन पर पैराग्राफ को शामिल करने के खिलाफ खड़ा है। उन्होंने कहा रूस को ‘तोडऩे’ की अपनी अंधी और असफल खोज में, इनमें से कई देश खुले तौर पर पाखंडी हैं और वैश्विक मूल्यों के साथ विश्वासघात करते हैं। जब सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के बारे में बात की जाती है, तो किसी कारण से कोई भी सीरिया, लीबिया या अफगानिस्तान का उल्लेख नहीं करता है।

उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश रूसी संस्कृति को निष्प्रभावी करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने इस तरह के प्रयासों को ‘घृणा अभियान’ करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास निरर्थक हैं और रूस सभी क्षेत्रों में बातचीत और अंतरराष्ट्रीय संपर्क के लिए खुला है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले अगस्त में जी20 भ्रष्टाचार निरोधक मंत्रिस्तरीय बैठक में यूक्रेन से संबंधित बिंदुओं पर रूस और चीन की आपत्तियों के कारण संयुक्त बयान पर सहमति नहीं बन पाई थी। इसके कारण एक परिणाम दस्तावेज़ और एक अध्यक्ष के सारांश पर हस्ताक्षर किए गए।