लघुकथा- इंसान-संबंध

लघुकथा- इंसान-संबंध

लघुकथा- इंसान-संबंध

लघुकथा- इंसान-संबंध

लघुकथा - इंसान 

जोर-जोर से हॉर्न बजाने पर भी भीड़ हट नहीं रही थी। तभी एक युवक विंडो के पास आकर बोला भाई साहब महिला स्कूटी से गिर गई है, वह बेहोश है तुरंत अस्पताल ले जाना होगा प्लीज़ आप मदद कीजिए। मैंने उसे इग्नोर करते हुए भीड़ को हट जाने का संकेत किया और गाड़ी आगे बढ़ा दी। अभी भीड़ से निकला ही था कि मेरे पास से जैसे ही एक ऑटो निकला, उसमें से चिल्लाने की आवाज आयी - शर्मा जी! शर्मा जी.... और जैसे ही मैंने गाड़ी की रफ्तार बढ़ाकर बगल में की तो स्टेयरिंग पर मेरे हाथ काँपने लगे। राहुल को लहुलुहान देख मेरी आवाज़ गले में ही रुंध गयी। रुकने पर पड़ोसी ने बताया कि बेटे को कोई ट्राली वाला टक्कर मार गया, ये दोनों अजनबी भले लड़के इसे अस्पताल ले जा रहे थे तभी अकस्मात् मैं भी वहां पहुंच गया तो.... मैंने बात बीच में ही काटते हुये शीघ्र ही वर्मा जी को कहा कि आप लोग इसे तुरंत अस्पताल लेकर पहुंचों मैं अभी आपसे फोन पर सम्पर्क कर शीघ्र ही आता हूँ। वर्मा जी कुछ बोलते, तब तक मैंने गाड़ी पीछे घुमाई और उसी भीड़ वाली जगह पहुँच गया। महिला की साँस चल रही थी, रक्त बहुत बह चुका था तभी दो-तीन युवकों ने मदद कर महिला को गाड़ी में लिटाया। मैं बिना समय गंवाये तुरंत महिला को पास में ही गाभा अस्पताल में ले गया। संयोग से वर्मा जी भी वहीं मिले। एमरजेंसी वार्ड में दोनों का इलाज़ हुआ। कई घंटे के बाद महिला व पुत्र राहुल दोनों को होश में देखकर संतोष हुआ। ध्यान आया कि ईश्वर हमें इंसान बनने का अवसर बार-बार देता है। हम ही नहीं समझ पाते।

लघुकथा - संबंध

सारे देश में लॉकडाउन था। सड़के सुनसान, दिन में ही आधी रात जैसा वीरान दृश्य। बाला के कराहने की आवाज वीराने को चीरती हुई सुनसान सड़कों में गूँज रही थी। घर की रसोई में रखे सामान में से सब कुछ देकर देख लिया किन्तु पत्थरी का भयंकर दर्द कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। घर से बाहर निकलने का अर्थ था पुलिस के डंडों की मार। हिम्मत करके करनैल बाहर सड़क पर गया। पुलिस कर्मचारी ने करनैल का रुआंसा सा चेहरा देखकर पूछा- क्या हुआ? बाहर क्यूँ आये हो? सारी बात ज्ञात होने पर पुलिस कर्मचारी ने बाला को अपनी ही बाइक पर बैठाकर अस्पताल में एडमिट कराया और अल्ट्रासाउंड होने के बाद दर्द का इंजैक्शन लगने तक वह वही बैठा रहा। करनैल पुलिस कर्मचारी को एकटक देखे जा रहा था। वह सोच रहा था कि इसके साथ हमारा इस जन्म में बेशक कोई संबंध न हो किन्तु पिछले जन्म में अवश्य ही कोई संबंध रहा होगा।

लेखक-कवि / स्तंभकार : 

डॉ उमेश प्रताप वत्स