नहीं बनी प्रशासन व किसानों के बीच बात, जारी रहेगा आमरण-अनशन

प्रतिनिधि मंडल में शामिल किसान लखविंदर सिंह ने बताया कि शुक्रवार को किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त से मिला और बातचीत की। उपायुक्त ने कहा इस बारे में चंडीगढ़ में बातचीत चल रही है।

नहीं बनी प्रशासन व किसानों के बीच बात, जारी रहेगा आमरण-अनशन

सिरसा - हरियाणा में जिला सिरसा के किसानों का मुआवजा राशि की अदायगी व अन्य मांगों को लेकर जिला मुख्यालय पर पिछली 16 जनवरी से दिया जा रहा धरना व आमरण अनशन शुक्रवार को भी जारी रहा। इसी बीच जिला प्रशासन व किसानों के बीच हुई दो घंटे की वार्ता बेनतीजा रही।चिकित्सकों की एक टीम ने आमरण अनशन पर बैठे किसान ओम प्रकाश के स्वास्थ्य की जांच की जिसमे आधा किलो वजन कम दर्ज किया गया।

प्रतिनिधि मंडल में शामिल किसान लखविंदर सिंह ने बताया कि शुक्रवार को किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त से मिला और बातचीत की। उपायुक्त ने कहा इस बारे में चंडीगढ़ में बातचीत चल रही है। उपायुक्त ने आमरण-अनशन खत्म करने को कहा, जिसपर किसानों ने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जाती, वे यहां से टस से मस नहीं होंगे। प्रतिनिधिमंडल में प्रकाश सिंह ममेरां, महावीर गुडियाखेड़ा, सुभाष खारिया, भरत सिंह गोदारा रोहिड़ांवाली, मनोहरलाल डिंग मंडी, सतबीर झोरड़ बचेर, नत्था सिंह झोरडऱोही, मान सिंह जलालआना, कृष्ण सिंह धोतड़, विनोद जांदू माधोसिंघाना, लखविंद्र सिंह औलख, बापू कश्मीर सिंह, इकबाल सिंह वैदवाला व अमरीक सिंह बाजवा शामिल रहे।

आमरण-अनशन पर बैठे ओमप्रकाश झुरिया ने प्रण किया है कि जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं हो जाती, वे यहां से नहीं उठेंगे, भले ही उनकी जान क्यों न चली जाए। किसान लखविंद्र सिह ने बताया कि किसानों की मुख्य मांग खरीफ -2020 में सफेद मक्खी से बर्बाद हुई कपास की फसल का बकाया मुआवजा 258 करोड़ रुपए है, जिसमें से हरियाणा सरकार ने कुल 64 करोड़ 91 लाख रुपए ही जारी किया है। मुआवजे को लेकर किसान जिला प्रशासन और कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल से मीटिंग भी कर चुके हैं, लेकिन अभी तक सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि बार-बार बातचीत के बाद भी सरकार व प्रशासनिक अधिकारी किसानों को आंदोलन के लिए उकसा रहे हैं। आश्वासनों से शासन व प्रशासन की हकीकत भी खुलकर सामने आ गई। सरकार सिर्फ और सिर्फ किसानों को बरगलाने में लगी हुई है, जबकि उसका किसान हितैषी चेहरा बीते दिवस पेश किए गए बजट में और भी साफ हो गया है। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि अनशन के दौरान उनके साथी किसान के साथ कोई अप्रिय घटना होती है तो उसकी जिम्मेवार हरियाणा सरकार और जिला प्रशासन होंगे।

उधर ,सेवानिवृत्त कर्मचारी संघ से जुड़े लोगों ने अपनी मांगो को लेकर रोष प्रदर्शन किया। इस दौरान एक ज्ञापन भी सौंपा। तत्पश्चात इन सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने भी किसानों के धरने पर पहुंच कर अपना समर्थन दिया।