यूपी की भारोत्तोलक पूर्णिमा पांडेय ने जीता दूसरा स्वर्ण पदक

उत्तर प्रदेश की भारोत्तोलक ने अपने तीसरे प्रयास में स्नैच में 105 किग्रा के अपने राष्ट्रीय रिकॉर्ड में सुधार करने का प्रयास किया, लेकिन वह अपना संतुलन खो बैठी और उनका टखना चोटिल हो गया

यूपी की भारोत्तोलक पूर्णिमा पांडेय ने जीता दूसरा स्वर्ण पदक

पणजी : पदक जीतने का जुनून किसी भी खिलाड़ी को दर्द से बाहर निकलने में मदद कर सकता है। ऐसी ही एक कहानी, गोवा में जारी 37वें राष्ट्रीय खेलों में भारोत्तोलन प्रतियोगिता में भाग ले रहीं उत्तर प्रदेश की पूर्णिमा पांडेय की है, जिन्होंने 87+ किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने के साथ-साथ राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी बना डाला। पांडेय ने रविवार को यहां कम्पाल गेम्स विलेज में कुल 222 किग्रा (स्नैच में 100 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 122 किग्रा) का भारवर्ग उठाकर राष्ट्रीय खेलों में अपना लगातार दूसरा स्वर्ण पदक जीता। उत्तर प्रदेश की भारोत्तोलक ने अपने तीसरे प्रयास में स्नैच में 105 किग्रा के अपने राष्ट्रीय रिकॉर्ड में सुधार करने का प्रयास किया, लेकिन वह अपना संतुलन खो बैठी और उनका टखना चोटिल हो गया। पूर्णिमा काफी समय से कलाई की चोट से भी जूझ रही हैं और उन्हें सर्जरी की जरूरत पड़ेगी। इसके बावजूद उन्होंने क्लीन एंड जर्क में 129 किग्रा वजन उठाकर एक और रिकॉर्ड बनाने का प्रयास किया। लेकिन यह हो नहीं पाया।

यह पूछे जाने पर कि उन्होंने खुद को अधिक वजन उठाने के लिए क्यों प्रेरित किया जबकि उन्हें पता था कि वह स्वर्ण पदक जीत लेंगी और इससे उन्हें चोट भी लग सकती है, पांडे ने कहा, ‘एक खिलाड़ी के रूप में इतने करीब आने के बाद खुद को रोकना काफी मुश्किल है।’ पिछले एक साल में चोट के कारण पांडे की रैंकिंग में काफी गिरावट देखने को मिली। वह खुद को और अपने प्रतिस्पर्धियों के सामने यह साबित करना चाहती थी कि वह अभी भी राष्ट्रीय सर्किट में बेस्ट हैं। पूर्णिमा ने रविवार को केरल की एन. मारिया को राष्ट्रीय खेलों में लगातार दूसरी बार हराते हुए स्वर्ण पदक जीत लिया। इसके बाद उनके चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी।

उन्होंने कहा, ‘अपनी रैंकिंग में गिरावट के बाद मुझे कुछ साबित करने की जरूरत थी और मैंने आज जिस तरह का प्रदर्शन किया उससे मैं खुश हूं।’ जिस तरह से भारत में भारोत्तोलन का माहौल है और राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा है, उसे देखते हुए खिलाड़ी चोटिल होने के बाद भी खेलते हैं क्योंकि सरकार और प्रायोजकों से वित्तीय सहायता उनके प्रदर्शन पर निर्भर करती है। इसलिए पांडेय को अब अगले साल जनवरी में सीनियर नेशनल तक के लिए अपनी सर्जरी टालनी होगी। उन्होंने कहा, ‘सीनियर नेशनल हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है। मैं चोट से उबरने और रिहैबिलिटेशन के लिए मैं अपने कोच के साथ मिलकर काम कर रही हूं और मुझे विश्वास है कि मैं वहां भी स्वर्ण जीत सकती हूं।’