अमृतकाल में सहकारिता की अहम भूमिका : अमित शाह

देश के विकास इंजन की महत्वपूर्ण कड़ी साबित होंगी सहकारी समितियां,पहली बार ऐसा हुआ है कि बजट में बढ़ई, सुनार, कुम्हार और अन्य कामगारों की मेहनत के महत्व को समझते हुए उनके हित में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना के तहत कई योजनाएं लाई गई हैं।

अमृतकाल में सहकारिता की अहम भूमिका : अमित शाह

दिल्ली- वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए पेश किए गए अमृतकालके प्रथम बजट ने विकसित भारत की आकांक्षाओं और संकल्प को पूरा करने के लिए बुनियादी ढांचे में पूंजीगत व्यय बढ़ाने, करों में कमी लाने और विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन के माध्यम से व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक मजबूत आधारशिला रखी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सक्षम और दूरदर्शी नेतृत्व में तैयार किया गया यह विकासोन्मुखी बजट न केवल भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में अपना स्थान बनाए रखने में मदद करेगा, बल्कि वैश्विक निराशा के वातावरण को भी बदलने में सहायक होगा। पहली बार ऐसा हुआ है कि बजट में बढ़ई, सुनार, कुम्हार और अन्य कामगारों की मेहनत के महत्व को समझते हुए उनके हित में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना के तहत कई योजनाएं लाई गई हैं। समाज में इन वर्गों के महत्वपूर्ण योगदान को एक लंबे समय से समुचित सम्मान और मान्यता की दरकार थी, जिसे इस बजट में पूरी प्राथमिकता दी गई है।

प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ सहकारिता क्षेत्र को सशक्त करने के लिए एक क्रांतिकारी निर्णय लेते हुए 2021 में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की। मेरा सौभाग्य है कि मुझे इस मंत्रालय का प्रभार दिया गया। इस बजट ने अनेक अनुकूल उपायों की घोषणा करके सहकारी क्षेत्र को एक आवश्यक बूस्टर खुराक प्रदान करने का काम किया है। बजट में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए विकेंद्रीकृत भंडारण क्षमता की स्थापना की घोषणा की गई है। यह दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण सुविधा होगी। यह सहकारिता की दिशा और दशा बदलने वाला निर्णय है। नई सहकारी निर्माण समितियों के विकास को बढ़ावा देने के लिए बजट में 31 मार्च, 2024 से पहले कार्यरत समितियों पर 15 प्रतिशत की रियायती आयकर दर की घोषणा की गई है।

चीनी सहकारी मिलों को बहुप्रतीक्षित राहत देने का काम भी इस बजट में हुआ है। निर्धारण वर्ष 2016-17 से पहले गन्ना किसानों को किए गए भुगतान के दावों को अब व्ययमाना जाएगा। इससे चीनी सहकारी समितियों को लगभग 10,000 करोड़ रुपये की राहत मिलने की उम्मीद है। हालांकि सहकारी समितियां लंबे समय से हमारी अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, लेकिन उनकी उपस्थिति में महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और भौगोलिक विविधताओं के कारण इनके लाभ पूरे देश को समानता से नहीं मिल पा रहे है। तेजी से बढ़ रहे सहकारी क्षेत्र को कुशल और प्रशिक्षित जनशक्ति की आपूर्ति के लिए एक राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालयस्थापित करने का भी काम हो रहा है। हाल में सहकारिता मंत्रालय, इलेक्ट्रानिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, नाबार्ड और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ है। यह समझौता ज्ञापन प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों को कामन सर्विस सेंटर द्वारा दी जाने वाली सेवाएं प्रदान करने में समर्थ करेगा। जल्द ही प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों को एफपीओ का दर्जा देने की पहल की जाएगी।