नहीं रहे बुंदेलखंड के दशरथ मांझी कृष्णा कोल

कोल ने आज सुबह अपने गांव बडेहार का पुरवा में अंतिम सांस ली

नहीं रहे बुंदेलखंड के दशरथ मांझी कृष्णा कोल

चित्रकूट : उत्तर प्रदेश में चित्रकूट जनपद के मानिकपुर ब्लॉक में पडऩे वाली गढ़चपा ग्राम पंचायत के गांव बडेहार का पुरवा मजरा निवासी और गांव की प्यास बुझाने को अपने अथक प्रयासों से कुंआ खोदकर बुंदेलखंड के दशरथ मांझी के नाम से प्रसिद्धि पाने वाले कृष्णा कोल का आज निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे। प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री कोल ने आज सुबह अपने गांव बडेहार का पुरवा में अंतिम सांस ली ।गांव में पानी की विकराल समस्या और पानी की आस व तलाश में महिलाओं के दर दर भटकने से दुखी होकर श्री कोल ने अपने गांव में ही कुंआ खोदने का विचार किया । उन्होंने केवल विचार ही नहीं किया बल्कि इस विचार को वास्तविकता में बदलने के लिए दिन -रात अथक प्रयास किया । उन्हें इस काम में पांच साल लगे लेकिन आखिरकार 1958 में वह कुंआ खोदने में कामयाब रहे।

कृष्णा कोल एक ऐसे शख़्स थे जो अपने शुरुआती दिनो में महात्मा गांधी से मिले और उनसे प्रेरित होकर अपने गाँव की बेहतरी के लिए कार्य किया। कृष्णा कोल पढ़े लिखे तो नहीं थे परंतु हमेशा कहा करते थे की व्यक्ति के सामने कैसी भी परिस्थिति हो लेकिन उसे हार नहीं माननी चाहिये । कृष्णा कोल की अंतिम इच्छा ये थी की उनके गाँव तक सम्पर्क मार्ग बन जाए जिससे गाँव में शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था दुरुस्त हो जाये। हालांकि कई बार जिला प्रशासन द्वारा उन्हें उनके कार्यों के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है। गाँव में स्कूल न होने के कारण उनकी चौथी पीढ़ी भी स्कूल नही जा सकी है और सम्पर्क मार्ग न होने के कारण स्वास्थ्य सेवाएँ भी इस गाँव तक नही पहुँच पाती हैं। चारों तरफ़ पहाड़ से घिरे इस गाँव में अधिकांश आदिवासी परिवार रहते हैं । समाज सेवा में लगे तमाम सारे संगठनों ने कहा है कि कृष्णा कोल चित्रकूट जनपद के लिए एक रीयल हीरो हैं और ऐसे व्यक्तित्व के लिए हम जितना भी करें वो कम होगा । सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से माँग की है की बड़ेहार तक सम्पर्क मार्ग का जल्द से जल्द निर्माण किया जाए जिसका नाम कृष्णा कोल सम्पर्क रखा जाए और उनकी अंतिम इच्छा जल्द से जल्द पूरी की जाये।