देवव्रत ने किया वैदिक गुरुकुल भवन का शिलान्यास

गांधीनगर के लाकरोडा में वैदिक संस्कृति की सुरक्षा, आर्ष ज्ञान-विज्ञान के प्रचार-प्रसार तथा सुसंस्कार के निर्माण के लिए सक्रिय आदर्श संस्था-दर्शनयोग धाम में व्याकरण शास्त्र, वेद साहित्य, आयुर्वेद, ज्योतिष, दर्शन एवं उपदेशक महाविद्यालय आकार लेगा।

देवव्रत ने किया वैदिक गुरुकुल भवन का शिलान्यास

गांधीनगर : गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने बुधवार को समर्पण भवन का लोकार्पण और वैदिक गुरुकुल भवन का शिलान्यास किया। श्री देवव्रत ने गांधीनगर जिले की माणसा तहसील के लाकरोडा गांव में साबरमती नदी के तट पर वैदिक संस्कृति, गुरुकुलीय शिक्षा की सुरक्षा और संवर्धन हेतु स्थापित दर्शनयोग धाम में आज समर्पण भवन का लोकार्पण किया। इस भवन में 36 साधना कुटीर हैं। रामनवमी के पावन पर्व पर उन्होंने इस संकुल में वैदिक गुरुकुल भवन का शिलान्यास भी किया।

गांधीनगर के लाकरोडा में वैदिक संस्कृति की सुरक्षा, आर्ष ज्ञान-विज्ञान के प्रचार-प्रसार तथा सुसंस्कार के निर्माण के लिए सक्रिय आदर्श संस्था-दर्शनयोग धाम में व्याकरण शास्त्र, वेद साहित्य, आयुर्वेद, ज्योतिष, दर्शन एवं उपदेशक महाविद्यालय आकार लेगा। राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि वैदिक गुरुकुलों में वेद परम्परा, योग, संध्या हवन एवं नैतिक शिक्षण के साथ ही आधुनिक अभ्यास का समन्वय करने की आवश्यकता है। बदलते समय में शास्त्रों के विद्वानों को विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी का सहयोग जरूरी है। अगर ऐसा होगा तो विद्वानों के समक्ष रोजगार की समस्या नहीं आएगी। इतना ही नहीं, उनके ज्ञान एवं विद्या का दायरा और ज्यादा बढ़ेगा।

श्री देवव्रत ने कहा कि आर्ष गुरुकुल का विद्यार्थी डॉक्टर, इंजीनियर, बैरिस्टर या सेना का अधिकारी नहीं बनेगा, लेकिन इन तमाम को सच्चे और अच्छे मनुष्य बनाने की क्षमता उसमें होगी। आज राष्ट्र के सर्वांगीण विकास और महान राष्ट्र के निर्माण के लिए ऐसे मनुष्यों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हम गुजरात की धरा पर जन्मे महर्षि दयानंद सरस्वतीजी की 200वीं जन्म जयंती मना रहे हैं। तब उनके कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध हों। वेदों के प्रति अत्यंत निष्ठा के साथ उन्होंने समाज के कुरिवाजों को दूर किया था। देश में व्याप्त अज्ञान, अन्याय, अभाव और आलस को दूर करने तथा देश को कल्याण के मार्ग पर ले जाने के लिए उन्होंने हजारों विद्वान तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि दर्शनयोग धाम जैसे संस्थान इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं तब समाज को भी ऐसे कार्यों में सम्पूर्ण सहयोग देना चाहिए। उन्होंने अनुरोध किया कि आर्ष गुरुकुल में अभ्यास संपन्न कर समाज को समर्पित होने वाले विद्वान विद्यार्थियों का दीक्षांत समारोह आयोजित किया जाना चाहिए और समाज को भी इन विद्यार्थियों का सत्कार करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।

इस अवसर पर दर्शनयोग धर्मार्थ ट्रस्ट के प्रबंधक न्यासी स्वामी श्री विवेकानंदजी परिव्राजक एवं सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा- दिल्ली के प्रधान सुरेशचंद्र आर्य ने भी अपने प्रासंगिक विचार व्यक्त किए। आर्यवन आर्ष कन्या गुरुकुल रोजड़ के आचार्या शीतलजी, वानप्रस्थ साधक आश्रम- रोजड़ के अध्यक्ष सत्यजीत मुनिजी, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के भूतपूर्व उप कुलपति डॉ. सुरेन्द्र कुमार आर्य, दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री विनय आर्य, मध्य भारतीय आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान प्रकाश आर्य एवं नागरिक यहां भारी संख्या में उपस्थित रहे।