'इंटीग्रेशन ऑफ भारतः पॉलिटिकल एंड कॉन्स्टीट्यूशनल पर्सपेक्टिव' पुस्तक का विमोचन

कार्यक्रम की अध्यक्षता आईजीएनसीए के अध्यक्ष श्री रामबहादुर राय ने की

'इंटीग्रेशन ऑफ भारतः पॉलिटिकल एंड कॉन्स्टीट्यूशनल पर्सपेक्टिव' पुस्तक का विमोचन

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी के इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र न्यास (आईजीएनसीए) में गुरुवार को 'इंटीग्रेशन ऑफ भारतः पॉलिटिकल एंड कॉन्स्टीट्यूशनल पर्सपेक्टिव' पुस्तक का विमोचन किया गया। लोकार्पण और चर्चा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल और विशिष्ट अतिथि महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) जे.आर. वेंकटरमनी थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता आईजीएनसीए के अध्यक्ष श्री रामबहादुर राय ने की।

इस पुस्तक पर चर्चा सत्र के आयोजन पर एस.एल. के अध्यक्ष जवाहर लाल कौल, आईजीएनसीए के कला निधि प्रभाग के विभागाध्यक्ष व डीन (प्रशासन) प्रो. रमेश चंद्र गौर और पुस्तक के लेखक यशराज सिंह बुंदेला ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल ने किताब को हिंदी में अनुवाद करने का सुझाव देते हुए कहा, 'उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पी. भगवती ने विष्णु पुराण के 'उत्तरं यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्। वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः।।' श्लोक का उद्धरण देते हुए एक मामले में कहा था कि भारत न तो एक साझी भाषा के कारण राष्ट्र बना, न ही इसके क्षेत्रों पर एक ही राजनीतिक शासन के निरंतर अस्तित्व के कारण बना, बल्कि सदियों से विकसित हुई साझी संस्कृति के कारण एक राष्ट्र बना। यह सांस्कृतिक एकता है, जो किसी भी अन्य बंधन से कहीं अधिक मौलिक और स्थायी है, जो किसी देश के लोगों को एकजुट कर सकती है।'

विशिष्ट अतिथि आर. वेंकटरमनी ने कहा, 'जब हम राजनीतिक और संवैधानिक एकीकरण के बारे में बात करते हैं, तो देश को एकीकरण की किसी कहानी की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारत की पूरी कहानी ही एकात्मता की कहानी है।'