नागेश्वर-सुंदरेश्वर की धरती का संगम है ‘सौराष्ट्र तमिल संगमम’- मोदी

श्री मोदी ने वर्चुअल माध्यम से गुजरात के सोमनाथ में बुधवार को आयोजित सौराष्ट्र तमिल संगमम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि ‘सौराष्ट्र तमिल संगमम’ का ये आयोजन केवल गुजरात और तमिलनाडु का संगम नहीं है।

नागेश्वर-सुंदरेश्वर की धरती का संगम है ‘सौराष्ट्र तमिल संगमम’- मोदी

सोमनाथ - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि ‘सौराष्ट्र तमिल संगमम’ नागेश्वर और सुंदरेश्वर की धरती का संगम है।

श्री मोदी ने वर्चुअल माध्यम से गुजरात के सोमनाथ में बुधवार को आयोजित सौराष्ट्र तमिल संगमम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि ‘सौराष्ट्र तमिल संगमम’ का ये आयोजन केवल गुजरात और तमिलनाडु का संगम नहीं है। ये देवी मीनाक्षी और देवी पार्वती के रूप में ‘एक शक्ति’ की उपासना का उत्सव भी है। ये भगवान सोमनाथ और भगवान रामनाथ के रूप में ‘एक शिव’ की भावना का उत्सव भी है। ये संगमम नागेश्वर और सुंदरेश्वर की धरती का संगम है। ये श्रीकृष्ण और श्री रंगनाथ की धरती का संगम है। ये संगम है नर्मदा और वैगई का। ये संगम है डांडिया और कोलाट्टम का ये संगम है द्वारिका और मदुरई जैसी पवित्र पुरियों की परम्पराओं का और ये सौराष्ट्र-तमिल संगमम संगम है सरदार पटेल और सुब्रमण्यम भारती के राष्ट्र-प्रथम से ओतप्रोत संकल्प का। हमें इन संकल्पों को लेकर आगे बढ़ना है। हमें इस सांस्कृतिक विरासत को लेकर राष्ट्र निर्माण के लिए आगे बढ़ना है।

उन्होंने कहा कि आप याद करिए जब भारत पर विदेशी आक्रांताओं के आक्रमण शुरू हुये, सोमनाथ के रूप में देश की संस्कृति और सम्मान पर पहला इतना बड़ा हमला हुआ, सदियों पहले के उस दौर में आज के जैसे संसाधन नहीं थे। इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का दौर नहीं था, आने जाने के लिए तेज ट्रेनें और प्‍लेन नहीं थे। लेकिन, हमारे पूर्वजों को ये बात पता थी कि हिमालयात् समारभ्य, यावत् इन्दु सरोवरम्। तं देव-निर्मितं देशं, हिन्दुस्थानं प्रचक्षते॥ अर्थात हिमालय से लेकर हिन्द महासागर तक ये पूरी देवभूमि हमारा अपना भारत देश है। इसीलिए उन्हें ये चिंता नहीं हुई कि इतनी दूर नई भाषा, नए लोग, नया वातावरण होगा, तो वहाँ वो कैसे रहेंगे। बड़ी संख्या में लोग अपनी आस्था और पहचान की रक्षा के लिए सौराष्ट्र से तमिलनाडु चले गए। तमिलनाडु के लोगों ने उनका खुले दिल से, परिवारभाव से स्वागत किया, उन्हें नए जीवन के लिए सभी स्थायी सुविधाएं दीं। ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का इससे बड़ा और बुलंद उदाहरण और क्या हो सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि महान संत थिरुवल्लवर जी ने कहा था-अगन् अमर्न्दु, सेय्याल उरैयुम् मुगन् अमर्न्दु, नल् विरुन्दु, ओम्बुवान् इल् यानि सुख-समृद्धि और भाग्य उन लोगों के साथ रहता है जो दूसरों का अपने यहां खुशी-खुशी स्वागत करते हैं। इसलिए हमें सांस्कृतिक टकराव नहीं, तालमेल पर बल देना है। हमें संघर्षों को नहीं, संगम और समागमों को आगे बढ़ाना है। हमें भेद नहीं खोजने, हमें भावनात्मक संबंध बनाने हैं। तमिलनाडु में बसे सौराष्ट्र मूल के लोगों ने और तमिलगम के लोगों ने इसे जीकर दिखाया है। आप सबने तमिल को अपनाया, लेकिन साथ ही सौराष्ट्र की भाषा को, खानपान को, रीति-रिवाजों को भी याद रखा। यही भारत की वो अमर परंपरा है जो सबको साथ लेकर समावेश के साथ आगे बढ़ती है, सबको स्वीकार करके आगे बढ़ती है। मुझे खुशी है कि हम सब अपने पूर्वजों के उस योगदान को कर्तव्य भाव से आगे बढ़ा रहे हैं। मैं चाहूँगा कि आप स्थानीय स्तर पर भी देश के अलग-अलग हिस्सों से लोगों को इसी तरह आमंत्रित करें, उन्हें भारत को जानने और जीने का अवसर दें। मुझे विश्वास है, सौराष्ट्र तमिल संगमम् इसी दिशा में एक ऐतिहासिक पहल साबित होगा।

श्री मोदी ने कहा कि आप इसी भाव के साथ, फिर एक बार तमिलनाडु से आप इतनी बड़ी तादाद में आए। मैं खुद आकर वहां आपका स्वागत करता तो मुझे और अच्छा आनंद आता। लेकिन समय अभाव से मैं नहीं आ पाया। लेकिन आज वर्चुअल माध्यम से मुझे आप सबके दर्शन करने का अवसर मिला है। लेकिन जो भावना इस पूरे संगमम् में हमने देखी है, उस भावना को हमें आगे बढ़ाना है। उस भावना को हमें जीना है। उस भावना के लिए हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी तैयार करना है। इसी भाव के साथ आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद! वणक्‍कम्।

सोमनाथ में आयोजित इस सौराष्ट्र तमिल संगमम के समापन समारोह में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, केन्द्रीय मंत्री परसोत्तम रूपाला, एल. मुरगन, सुश्री मिनाक्षी लेखी, झारखंड के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन, गुजरात राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य, तंजावुर के महाराजा बाबाजी राजासाहब भोंसले छत्रपति, सांसद, विधायक और पदाधिकारी प्रत्यक्ष उपस्थित रहे।