ये पप्पू पास हो गया"... 56 वर्ष की उम्र में सिक्योरिटी गार्ड ने पास की MSc की परीक्षा, 25 साल में 23 बार फेल होने के बाद पाई सफलता

बरुआ की मेहनत का ही नतीजा रहा कि एमएससी की परीक्षा में कुल 23 बार असफल होने के बाद भी उन्होंने 56 वर्ष की उम्र में परीक्षा पास की

ये पप्पू पास हो गया"... 56 वर्ष की उम्र में सिक्योरिटी गार्ड ने पास की MSc की परीक्षा, 25 साल में 23 बार फेल होने के बाद पाई सफलता

लहरों : डर कर नौका पार नहीं होती। कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। हरिवंशराय बच्चन की ये कविता आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उस समय थी जब उन्होंने ये कविता लिखी थी। इसका ताजा उदाहरण दिया है जबलपुर के राजकरण बरुआ ने, जिन्होंने एमएससी की परीक्षा को 25 वर्षों में पास किया है।

उन्होंने अपनी आधा जीवन इस डिग्री को हासिल करने में निकाल दिया मगर कोशिश करना नहीं छोड़ा और ना ही हार मानी। इससे साफ जाहिर होता है कि उनके इरादे बिलकुल मजबूत थे। 25 वर्षों के दौरान लोगों ने बरुआ को कई मौकों पर ताने मारे मगर उनकी मेहनत में इस दौरान कमी नहीं आई। भले ही उन्हें 25 वर्षों तक इंतजार करना पड़ा मगर आखिरकार उन्होंने वो हासिल किया जिसका उन्होंने सपना देखा था। उन्होंने अपने लक्ष्य को हासिल कर ही चैन की सांस ली।

बरुआ की मेहनत का ही नतीजा रहा कि एमएससी की परीक्षा में कुल 23 बार असफल होने के बाद भी उन्होंने 56 वर्ष की उम्र में परीक्षा पास की। अब उनके पास एमएससी की डिग्री है। इस उपलब्धि को हासिल करना उनके लिए बेहद बड़ी बात है। उन्होंने इस सपने को पूरा करने में 25 वर्षों का समय लगा है। इस संबंध में टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 में उन्होंने परीक्षा पास की तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था और उन्होंने खुद को बहुत शाबासी दी थी। 

उन्होंने बताया कि वर्ष 1997 में उन्होंने सबसे पहले एमएससी की परीक्षा दी थी। मगर इस परीक्षा में उन्हें सफलता नहीं मिली थी। इसके बाद 10 वर्षों तक वो लगातार परीक्षा देते रहे मगर पांच में से सिर्फ एक ही विषय में वो पास हो पाते थे। मगर फेल होने के बाद भी उन्होंने आत्मविश्वास कम नहीं होने दिया। इसके बाद वर्ष 2020 में पहली बार उन्होंने फर्स्ट ईयर पास किया और 2021 में सेकेंड ईयर एग्जाम पास किया।

दरअसल बरुआ एमएससी की डिग्री के लिए पढ़ने के साथ ही नौकरी भी करते थे। उन्होंने नौकरी करने के लिए सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी भी की। कई बार परिस्थितियां बेहद कठिन आई मगर उनका विश्वास नहीं डमगाया और उन्होंने अंत में अपने सपने को साकार रुप दिया।

बता दें कि ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के दौरान भी उनका सफर आसान नहीं रहा था। उन्होंने पढ़ाई करने के लिए पुरानी किताबों का सहारा लिया। पैसों का आभाव होने के कारण वो ये किताबें कबाड़ी की दुकान पर उपबल्ध रद्दी से खरीदा करते थे।