राजस्थान में एक्शन प्लान पर काम कर रही भाजपा

12 से 15 घरों पर एक सक्रिय कार्यकर्ता तैनात किए

राजस्थान में एक्शन प्लान पर काम कर रही भाजपा

जयपुर- खेमेबाजी की सुर्खियों के बीच राजस्थान भाजपा ने विधानसभा चुनाव के एक्शन प्लान पर काम शुरू कर दिया है। बड़ी जीत के लिए भाजपा ने इस बार छोटे-छोटे प्लान बनाए हैं। माइक्रो मैनेजमेंट शुरू हो गया है। एक-एक विधानसभा सीट के साथ एक-एक बूथ की मैपिंग चल रही है। सबसे ज्यादा फोकस ओवरऑल विधानसभा सीट के बजाय हर बूथ को मजबूत करने पर है। बूथ मैनेजमेंट के लिए करीब 10 लाख कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी करने के काम को पार्टी ने लगभग पूरा कर लिया है। अब इनके वैरिफिकेशन का काम चल रहा है। इन 10 लाख लोगों का एक ही मिशन रहेगा- वोटिंग के दिन हर मतदाता को बूथ तक लेकर आना। इसके लिए प्रत्येक 12 से 15 घरों पर एक सक्रिय कार्यकर्ता तैनात किया जा रहा है।

चुनाव जीतने के लिए भाजपा का प्लान पिछले दिनों दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यसमिति से निकला है। पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय कार्यसमिति की मीटिंग में शामिल नेताओं को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने के लिए कुछ टिप्स दिए थे। अब इन पर राजस्थान भाजपा पूरी तरह से फोकस होकर ग्राउंड पर उतर चुकी है। कमजोर सीटों के साथ-साथ कमजोर बूथों का अलग से कैटेगराइजेशन किया गया है, ताकि प्रत्येक बूथ पर किस तरह काम करना है इसकी क्लियरिटी रहे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि संगठन के स्तर पर ग्राउंड वर्किंग के साथ चुनाव मैदान में उतारे जाने वाले चेहरों का चयन करने के लिए सर्वे भी करवाए जा रहे हैं। सेंट्रल लीडरशिप की ओर से लगातार हो रहे सर्वे के रिजल्ट का प्रदेश नेतृत्व की वर्किंग से भी मैच कराया जाएगा, ताकि कहीं कोई गैप नहीं रहे।

तीन श्रेणी में बांटा गया है बूथों को

श्रेणी के 26,347 बूथ जहां पिछले तीनों चुनाव में बढ़त मिली : ए श्रेणी में वे 26,347 बूथ शामिल किए गए हैं, जो पिछले तीन चुनाव में भाजपा ने जीते। यहां वोट मार्जिन बढ़ाने पर भाजपा काम कर रही है। भाजपा का मानना है कि ये बूथ ऐसे हैं, जहां उसकी विचारधारा से जुड़े मतदाताओं की संख्या ज्यादा हैं। इसीलिए उसे हर चुनाव में यहां विपक्षी दल से ज्यादा वोट हासिल होते हैं। इन बूथों पर ज्यादा फोकस करके भाजपा की कोशिश रहेगी कि यहां नए वोटर्स को जोड़ा जाए, ताकि इन बूथों पर मिलने वाली लीड के दम पर कमजोर बूथों पर होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके।

बी श्रेणी के 15,050 बूथ जहां कभी जीत, कभी हार : बी श्रेणी के बूथों में वे 15,050 बूथ शामिल हैं, जहां भाजपा को पिछले तीन चुनाव में कभी जीत मिली तो कभी हार। सबसे ज्यादा इन्हीं बूथों पर भाजपा काम कर रही है। पार्टी का मानना है कि जब तीनों चुनाव में कभी न कभी इन बूथों पर पार्टी ने विपक्षी दल से ज्यादा वोट हासिल किए हैं, तो यहां गुंजाइश ज्यादा है। इन बूथों पर अलग-अलग फैक्टर्स को चिह्नित किया जा रहा है। देखा जा रहा है कि जब जीते तो यहां क्या कारण रहे और जब हारे तो क्या कारण थे?

सी श्रेणी के 9,959 बूथ जहां पिछले तीन चुनाव में हार : सी श्रेणी के बूथों में वे 9,959 बूथ शामिल हैं, जहां भाजपा पिछले तीन चुनावों में लगातार हार रही है। यहां 2008 से लेकर 2018 तक कभी भी भाजपा को बढ़त नहीं मिली। अब ऐसे बूथों में वोट हासिल करने की रणनीति के तहत यहां के फैक्टर्स पर मंथन किया जा रहा है। उन कारणों को ढूंढा जा रहा है, जिनकी वजह से भाजपा को इन बूथों पर वोट नहीं मिलते। यहां भाजपा का प्लान है कि ऐसे वोटर्स तक पहुंच बनाए जो न्यूट्रल वोट हैं और जिन तक संपर्क करने से पार्टी को इन बूथों पर वोट हासिल हो सकते हैं।

95 सीटों पर भाजपा का सबसे ज्यादा फोकस

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने बताया कि हम 200 सीटों पर काम कर रहे हैं। सबसे ज्यादा जोर पिछले तीन चुनाव में दो बार और तीन बार हार वाली सीटों पर कर रहे हैं। इसके अलावा एससी--एसटी रिजर्व सीटों पर भी हम संगठन की मजबूती के लिए बूथ स्तर पर सबसे ज्यादा फोकस है। हमने इन सीटों पर 137 ऐसे नेता-कार्यकर्ताओं को विस्तारक लगाया है जो विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में भी वहीं रहेंगे। विस्तारक लगाए गए कार्यकर्ताओं का ढ्ढक्त लेवल जांचने के लिए बाकायदा इंटरव्यू के जरिए चयन किया गया है। विस्तारकों को मुख्य रूप से बूथ कमेटियों के वेरिफिकेशन और पन्ना प्रमुखों की नियुक्ति का जिम्मा दिया गया है।

जिन सीटों पर भाजपा का फोकस : इनमें श्रीगंगानगर, करणपुर, रायसिंहनगर, हनुमानगढ़, भादरा, कोलायत, लूणकरणसर, श्रीडूंगरगढ़, नोखा, सादुलपुर, सरदारशहर, सुजानगढ़, मंडावा, उदयपुरवाटी, धोद, सीकर, नीमकाथाना, श्रीमाधोपुर, दूदू, आमेर, जमवारामगढ़, हवामहल, सिविल लाइंस, बगरू, तिजारा, बानसूर, अलवर ग्रामीण, कामां, डीग-कुम्हेर, हिंडौन, करौली, बांदीकुई, महुवा, दौसा, गंगापुरसिटी, बामनवास, सवाईमाधोपुर, खंडार, निवाई, टोंक, देवली-उनियारा, किशनगढ़, मसूदा, केकडी, लाडनूं, डीडवाना, जायल, खींवसर, नावां, ओसियां, लूणी, पोकरण, शिव, बायतू, पचपदरा, गुड़ामालानी, चौहटन, खैरवाड़ा, डूंगरपुर, सागवाड़ा, चौरासी, बांसवाड़ा, कुशलगड़, बेगूं, निंबाहेड़ा, मांडल, सहाड़ा, हिंडौली, पीपल्दा, सांगोद, कोटा नोर्थ, अंता, किशनगंज, बारां-अटरू, राजाखेड़ा, सादुलशहर, बाड़ी, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़, कोटपूतली, दांतारामगढ़, लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर। खेतड़ी, नवलगड्, झुंझुनूं, बस्सी, बागीदोरा, वल्लभनगर, सांचौर, बाढ़मेर, सरदारपुरा, लालसोट, सिकराय, सपोटरा, टोडाभीम विधानसभा सीट शामिल हैं।