हंगामे के चलते मानसून सत्र दो दिन में ही संपन्न
कल भी सदन में आदिवासियों पर अत्याचार के मामले को लेकर जमकर हंगामा हुआ था और सदन की कार्यवाही बाधित हुयी थी।
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भोपाल -आदिवासियों पर कथित अत्याचार और अन्य मुद्दों को लेकर आज मध्यप्रदेश विधानसभा में लगातार दूसरे दिन हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी और मानसून सत्र मात्र दो दिन में ही संपन्न हो गया।
कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के पहले पूरक कार्यसूची भी लायी गयी और सभी महत्वपूर्ण विधेयकों को पेश करने के साथ ही उन्हें पारित कराने की औपचारिकता पूरी की गयी। इस दौरान सदन में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्य अध्यक्ष के आसन के समक्ष पहुंचकर लगभग आधा घंटे तक नारेबाजी करते रहे, जिससे कुछ भी साफ तौर पर सुनायी नहीं दिया। विपक्षी सदस्य सीधी कांड के जरिए आदिवासियों पर अत्याचार, श्री महाकाल लोक निर्माण में कथित भ्रष्टाचार और भोपाल स्थित प्रमुख सरकारी इमारत सतपुड़ा भवन में आग लगने जैसी घटनाओं को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। वहीं संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा और कुछ अन्य मंत्री तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक भी सरकार के पक्ष में बोलते हुए दिखे।
हंगामे के बीच ही अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कार्यसूची और अनुपूरक कार्यसूची में शामिल विषयों को पूर्ण करने की औपचारिकता की और संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा के प्रस्ताव के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी। इसके साथ ही मंगलवार यानी कल प्रारंभ हुआ मानसून सत्र दो दिन में संपन्न हो गया। सत्र में कुल पांच बैठकें शनिवार तक प्रस्तावित थीं। मौजूदा सत्र राज्य की पंद्रहवीं विधानसभा का अंतिम सत्र माना जा रहा है। राज्य में नवंबर दिसंबर माह में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
इसके पहले सुबह 11 बजे प्रश्नकाल के दौरान आदिवासियों से जुड़े सवाल और उन पर जवाब हुए। इस दौरान भी कुछ अवसरों पर तकरार देखने को मिली। इसके बाद शून्यकाल में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक कांतिलाल भूरिया और अन्य विधायकों ने कहा कि आदिवासियों पर अत्याचारों को लेकर स्थगन प्रस्ताव दिया गया है, इस पर सदन में तत्काल चर्चा होना चाहिए। इसी मांग को लेकर कांग्रेस के विधायक अध्यक्ष के आसन के समक्ष पहुंच गए और एकसाथ बोलने लगे।
सदन में हंगामा और नारेबाजी देख अध्यक्ष श्री गौतम ने सभी से शांत रहने और अपने स्थानों पर लौटने का अनुरोध किया। इसके बाद भी शांति नहीं होने पर सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित कर दी गयी। दस मिनट बाद सदन समवेत होने पर सदन में फिर हंगामेदार दृश्य नजर आए।
कल भी सदन में आदिवासियों पर अत्याचार के मामले को लेकर जमकर हंगामा हुआ था और सदन की कार्यवाही बाधित हुयी थी।