कर्नाटक में सिद्धारमैया, बोम्मई के बीच मचा घमासान

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भाजपा पर दलित समुदायों को धोखा देने का आरोप लगाया

कर्नाटक में सिद्धारमैया, बोम्मई के बीच मचा घमासान

बेंगलुरु : कर्नाटक में सत्तारुढ़ कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच इन दिनों जारी तीखी नोकझोंक के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भाजपा पर दलित समुदायों को धोखा देने का आरोप लगाया है वहीं उनके पूर्ववर्ती बसवराज बोम्मई ने गुरुवार को मौजूदा उन्हें कमजोर मुख्यमंत्री बताते हुये कहा कि उन्होंने अपने विधायकों पर पकड़ खो दी है। सोशल मीडिया संदेशों की एक श्रृंखला में श्री सिद्धारमैया ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि गत मई में कर्नाटक चुनाव से पहले राज्य में अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के लिए आंतरिक आरक्षण की सिफारिश करके और फिर संसद में यह जवाब देना कि संविधान के तहत एससी समुदाय का उप-वर्गीकरण स्वीकार्य नहीं है, झूठ और पाखंड में शामिल होने का के समान है।

श्री सिद्धारमैया सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री ए नारायणस्वामी के 26 जुलाई को राज्यसभा में एक अतारांकित प्रश्न के जवाब का जिक्र कर रहे थे जिसमें कहा गया था कि संविधान के मौजूदा प्रावधानों के तहत अनुसूचित जातियों का उप-वर्गीकरण स्वीकार्य नहीं है। कर्नाटक विधानसभा चुनावों की पहले तत्कालीन भाजपा सरकार ने एससी (बायें ) समूह के लिए 17 प्रतिशत दलित कोटा में से छह, एससी (दाएं) के लिए 5.5 प्रतिशत को अलग करके राज्य में अनुसूचित जाति के ‘स्पृश्य’ समूह के लिए 4.5 प्रतिशत और अन्य के लिए 1 प्रतिशत एससी आरक्षण के लिए आंतरिक कोटा तय किया था। हालांकि इस कदम का चुनाव में कोई फायदा नहीं मिला। इस बीच श्री बोम्मई ने आज कहा कि श्री सिद्धारमैया ने न केवल प्रशासन पर नियंत्रण खो दिया है, बल्कि अपने विधायकों पर भी पकड़ खो दी है।

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा सिद्धारमैया अपने पूरे मंत्रिमंडल को दिल्ली ले जा रहे हैं, यह अभूतपूर्व है। कर्नाटक की राजनीति के इतिहास में कभी भी मुख्यमंत्री पूरे मंत्रिमंडल को पार्टी मुख्यालय और पार्टी आलाकमान के पास नहीं ले गए। इससे पता चलता है कि कर्नाटक में सब कुछ ठीक नहीं है। आरोप लगाए गए हैं सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों द्वारा बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं, और चूंकि बैठक (दिल्ली में) हो रही थी, इसलिए पुलिस स्थानांतरण रद्द कर दिया गया। इससे पता चलता है कि श्री सिद्धारमैया ने प्रशासन पर नियंत्रण खो दिया है,। श्री बोम्मई ने यह भी कहा कि सिद्धारमैया और उनके कैबिनेट सहयोगियों को सरकार बनाने के 2 महीने के भीतर दिल्ली आने के लिए कहना, यह दर्शाता है कि सिद्धारमैया -2 संस्करण सिद्धारमैया -1 संस्करण की तरह नहीं है। वह कमजोर हो गए हैं। वह निर्णय लेने में असमर्थ हैं। और जैसा कि हमने सीएलपी बैठक में देखा, उन्होंने विधायकों पर पकड़ खो दी है। इसलिए, हाईकमान को हस्तक्षेप करना पड़ा।

श्री बोम्मई ने कहा, पूरे मंत्रिमंडल को दिल्ली बुलाना भी अलोकतांत्रिक है और कर्नाटक के लोगों का अपमान है जिन्होंने इस सरकार को भारी बहुमत से चुना था। उन्होंने कहा पहले श्री (रणदीप सिंह) सुरजेवाला ने यहां अधिकारियों की बैठक में भाग लिया और प्रशासन में हस्तक्षेप करने की कोशिश की। और अब जब भारी बारिश, बाढ़ और सूखा होता है तो हाईकमान सभी मंत्रियों से पूछ रहा है। यह वास्तव में अलोकतांत्रिक है और कर्नाटक के लोगों के लिए अपमान है जिन्होंने इस सरकार को भारी बहुमत से चुना था।