देश की आजादी से पहले स्वतंत्र होने वाले बलिया के संघर्ष को देवरिया में किया गया याद

चित्तू पाण्डेय के नेतृत्व में 19 अगस्त 1942 को हासिल की गयी आजादी की याद में आज देवरिया में स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी

देश की आजादी से पहले स्वतंत्र होने वाले बलिया के संघर्ष को देवरिया में किया गया याद

देवरिया : देश की आजादी से पहले उत्तर प्रदेश के बलिया में चित्तू पाण्डेय के नेतृत्व में 19 अगस्त 1942 को हासिल की गयी आजादी की याद में आज देवरिया में स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी गयी। आज यहाँ ‘मेरी माटी मेरा देश अभियान’ के तहत बलिया बलिदान दिवस के अवसर पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने रामलीला मैदान स्थित शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि कर स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी और उपस्थित लोगों को पंच प्रण का शपथ दिलायी। इस अवसर पर किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष पवन कुमार मिश्रा ने कहा कि देश की आजादी से पांच साल पहले ही बलिया के लोगों ने 19 अगस्त 1942 को अंग्रेजी हुकूमत की जंजीर तोडक़र खुद को स्वतंत्र घोषित कर लिया था। खुद की शासन व्यवस्था भी लागू कर स्वतंत्र बलिया प्रजातंत्र नाम रखा और मुख्यालय हनुमानगंज कोठी में खोला। चित्तू पांडेय ने 22 अगस्त 1942 तक यहां की सरकार भी चलाई।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के ‘करो या मरो’ के नारे से प्रभावित होकर बलिया में शुरू इस आंदोलन की गूंज लंदन तक सुनायी दी थी जब बलिया को क्रांतिकारियों ने अपनी शहादत देकर ब्रितानिया हुकुमत से लोहा लेते स्वतंत्र घोषित कर दिया।आज का यह दिन देश के लिये गौरवशाली है। भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी अम्बिकेश पाण्डेय ने कहा कि शेर-ए-बलिया चित्तू पांडेय के नेतृत्व में जेल में बंद सेनानियों ने फाटक तोडक़र खुद को आजाद कर जिलाधिकारी की कुर्सी पर कब्जा कर खुद को कलेक्टर नामित कर दिया था। बलिया की आजादी की गूंज लंदन तक गूंजी थी। इस लड़ाई में 84 लोग शहीद हो गए। इस आजादी की लड़ाई के बाद पूरे देश में बल मिल गया।उक्त आजादी को पूरा देश बलिया बलिदान दिवस के रूप में हर वर्ष 19 अगस्त को उक्त आंदोलन में जान गंवाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर मनाता है।