देवेन्द्र प्रसाद यादव ने भारतरत्न कर्पूरी ठाकुर के लिये छोड़ी थी फुलपरास विधानसभा की सीट

देवेन्द्र प्रसाद यादव ने झंझारपुर से वर्ष 1989,1991,1996,1999 और 2004 में जीत हासिल की है

देवेन्द्र प्रसाद यादव ने भारतरत्न कर्पूरी ठाकुर के लिये छोड़ी थी फुलपरास विधानसभा की सीट

पटना : बिहार में झंझारपुर संसदीय सीट से पांच बार के सांसद रहे देवेन्द्र प्रसाद यादव ने भारतरत्न कर्पूरी ठाकुर के लिये फुलपरास विधानसभा की सीट छोड़ दी थी। झंझारपुर संसदीय सीट से सर्वाधिक पांच बार जीतने का कीर्तिमान पूर्व केन्द्रीय मंत्री देवेन्द्र प्रसाद यादव के नाम दर्ज हैं। देवेन्द्र प्रसाद यादव ने झंझारपुर से वर्ष 1989,1991,1996,1999 और 2004 में जीत हासिल की है।आपातकाल के खिलाफ देवेंद्र प्रसाद यादव ने अपनी सियासी पारी का आगाज लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जे.पी.आंदोलन से किया था। वर्ष 1977 में बिहार विधानसभा चुनाव में मधुबनी जिले की फुलपरास सीट पर हुये चुनाव में देवेन्द्र प्रसाद यादव जनता पार्टी के टिकट पर निर्वाचित हुये। इसी वर्ष कर्पूरी ठाकुर ने भारतीय लोक दल (बीएलडी) के टिकट पर समस्तीपुर संसदीय सीट से जीत हासिल की थी। बिहार में कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी थी। कर्पूरी ठाकुर उस समय न ही विधानसभा और न विधान परिषद के सदस्य थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद कर्पूरी ठाकुर को छह महीने के अंदर विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना अनिवार्य था। कर्पूरी ठाकुर को उस समय जनता पार्टी के कई बड़े नेताओं ने विधान परिषद के सदस्य के तौर पर मुख्यमंत्री बने रहने का फॉर्मूला सुझाया था, लेकिन कर्पूरी ठाकुर ने विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया। तुरंत हुए चुनाव में सभी सीटें भरी हुई थीं। विधान परिषद की सीटें भी खाली नहीं थीं। देवेंद्र प्रसाद यादव पहली बार विधायक बने थे। उन्होंने अपनी जीती सीट फुलपरास, कर्पूरी ठाकुर के लिए छोड़ने का फैसला किया। उन्होंने तत्काल विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।देवेंद्र यादव के फुलपरास सीट छोड़े जाने के बाद उपचुनाव हुये। उपचुनाव में जनता पार्टी उम्मीदवार कर्पूरी ठाकुर ने कांग्रेस के राम जयपाल सिंह यादव को पराजित किया और विधायक बन गये। साल भर बाद वर्ष 1978 में देवेन्द्र प्रसाद यादव को बिहार विधान परिषद का सदस्य नियुक्त किया गया।

झंझारपुर संसदीय सीट वर्ष 1977 में अस्तित्व में आया। इससे पहले यह सीट मधुबनी लोकसभा का हिस्सा था। इससे पूर्व मधुबनी सीट पर हुचे आम चुनाव में वर्ष 1957 में अनिरूद्ध सिंह, वर्ष 1962 में योगेन्द्र झा, वर्ष 1967 में शिवचंद्र झा और वर्ष 1971 में कांग्रेस के जगन्नाथ मिश्रा ने जीत हासिल की थी। मधुबनी जिले के घोघरडीहा के सुदैडीह राजकीय विद्यालय के हेडमास्टर रहे जगन्नाथ मिश्र को कांग्रेस का टिकट मिलने की कहानी काफी दिलचस्प है। वर्ष 1971 की बात है। लोकसभा चुनाव का प्रचार-प्रसार जारी था। इसी बीच एक दिन हेडमास्टर रहे जगन्नाथ मिश्र को डाकिये ने दिल्ली से आया एक लिफाफा लाकर दिया। उसमें मधुबनी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस का टिकट था।इस तरह टिकट मिला तो चर्चा चारों ओर फैली। लोगों को लगा कि केन्द्र के कद्दावर नेता ललित नारायण मिश्र के बड़े भाई डॉ. जगन्नाथ मिश्र को टिकट मिला है। इसे लेकर लोगों में भ्रम हो गया।इसकी जानकारी कांग्रेस पार्टी हाईकमान को हुई। इसके बाद कांग्रेस ने प्रेस बयान जारी कर इसे स्पष्ट किया था। बताया गया कि एक नाम वाले दो लोग हैं। बाद में पंडित जगन्नाथ मिश्र और डॉ. जगन्नाथ मिश्र के नाम से अंतर किया जाने लगा था। कहा जाता है कि पंडित जगन्नाथ मिश्र को कांग्रेस के साथ पुरानी वफादारी और स्वतंत्रता सेनानी होने के कारण टिकट मिला था।

वर्ष 1977 में झंझारपुर संसदीय सीट पर हुये चुनाव में भारतीय लोक दल (बीएलडी) के धनिक लाल मंडल ने कांग्रेस के जगन्नाथ मिश्रा को पराजित किया।इसके बाद वह मोरारजी देसाई एवं चौधरी चरण सिंह की सरकार में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बने। मधुबनी जिले के घोघरडीहा प्रखंड क्षेत्र स्थित बेलहा गांव में जन्में श्री मंडल इससे पूर्व वर्ष 1967 में फुलपरास के विधायक बने थे। इसके बाद वह विधानसभा अध्यक्ष बने थे। वर्ष 1969 में फुलपरास और वर्ष 1972 में लौकहा से वह विधायक बने थे। वर्ष 1980 में झंझारपुर सीट पर हुये आम चुनाव में श्री मंडल ने जनता पार्टी (सेक्यूलर) के टिकट पर जीत हासिल की। इंदिरा कांग्रेस के जगन्नाथ मिश्रा दूसरे जबकि स्वर्गीय ललित नारायण की पत्नी जनता पार्टी प्रत्याशी कामेश्वरी देवी तीसरे नंबर पर रही।

स्वर्गीय ललित नारायण मिश्रा की पत्नी कामेश्वरी देवी ने अपने चुनाव अभियान के पोस्टर में पति के साथ तस्वीर लगाते हुये लिखा था। इनकी जीत मेरी जीत। मैंने झंझारपुर को अपना क्षेत्र क्यों चुना! मैं यहीं की बेटी हूं।मुझे मांगने का अधिकार है। झंझारपुर आपके प्रिय नेता का कार्य क्षेत्र रहा। इस देश के विकास के लिये उन्होंने अपना जीवन दान दिया। उनके अधूरे सपने को पूरा करना चाहती हूं। आपके स्वर्गीय नेता की पत्नी होने का सौभाग्य और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं से संपर्क का लाभ। आपके विकास में लगाना चाहती हूं।बेटी, बहन नैहर से खाली हाथ नहीं जाती- यह परंपरा है। मुझे भी आप निराश नहीं करेंगे-यह मेरा विश्वास है। हलधर छाप पर मोहर लगाये।

श्री धनिक लाल मंडल को वर्ष 1990 से वर्ष 1995 के बीच हरियाणा के राज्यपाल और राजस्थान के राज्यपाल के रूप में अतिरिक्त प्रभार भी मिला। वर्ष 1992 में उन्हें राष्ट्र के लिए उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए शिरोमणि पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनके पुत्र भारत भूषण मंडल अभी लौकहा के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक हैं, जबकि उनके दूर के रिश्ते की शीला मंडल फुलपरास की विधायक हैं।

1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति लहर में झंझारपुर में कांग्रेस का खाता खुला। कांग्रेस प्रत्याशी गौरी शंकर राजहंस, लोक दल के धनिक लाल मंडल को हराकर पहली बार लोकसभा पहुंचे।भागलपुर के सुल्तानगंज के रहने वाले गौरी शंकर राजहंस ,कांग्रेस के बड़े नेता रहे जयदेव राजहंस के पुत्र थे। जयदेव राजहंस की प्रेरणा से ही रंगनाथ मुरारका ने सुल्तानगंज में मुरारका कॉलेज की स्थापना की थी। गौरी शंकर राजहंस की शिक्षा तेज नारायण बनैली कॉलेज (टीएनबी) कॉलेज में हुई। बाद में अर्थशास्त्र विषय में उन्होंने मुजफ्फरपुर के लंगट सिंह कॉलेज (एलएस) कॉलेज से एमए किया। इसके बाद उन्होंने अमेरिका कैलिफोर्निया से पी.एच.डी की। डॉ. राजहंस मुरारका कॉलेज में अर्थशास्त्र के व्याख्याता नियुक्त हुए थे। इसके बाद उन्होंने पत्रकारिता की ओर रुख किया। कई लघु उपन्यास उन्होंने लिखे। बाद में वह कनाडा सरकार के तकनीकी सलाहकार बनाये गए।उन्होंने लाओस और कम्बोडिया में भारत के राजदूत के रूप में उत्कृष्ट सेवा दी। वह हिन्दी के वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार एवं लेखक थे। वह हिन्दुस्तान टाइम्स ग्रुप के प्रबंधन से भी जुड़े रहे थे। डा.राजहंस दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान और अन्य अखबारों के संपादकीय पृष्ठ पर देश के ज्वलंत मुद्दों पर अपने आलेखों के कारण छाए रहते थे।जगन्नाथ मिश्र के बड़े भाई लड्डू मिश्र की बेटी से उनकी शादी हुई थी।

वर्ष 1989 के चुनाव में जनता दल के देवेन्द्र प्रसाद यादव ने कांग्रेस के गौरी शंकर राजहंस को पराजित किया। वर्ष 1991 में जनता दल के देवेन्द्र प्रसाद यादव ने कांग्रेस प्रत्याशी जगदीश नारायण चौधरी को पराजित किया। वर्ष 1996 में जनता दल के देवेन्द्र प्रसाद यादव ने जीत की हैट्रिक लगायी। वर्ष 1998 में राष्ट्रीय जनता दल के सुरेन्द्र प्रसाद यादव ने समता पार्टी के जगदीश नारायण चौधरी को पराजित किया। जनता दल के देवेन्द्र प्रसाद यादव तीसरे नंबर पर रहे। वर्ष 1999 में एक बार फिर देवेन्द्र प्रसाद यादव ने जीत का परचम लहराया। जनता दल यूनाईटेड (जदयू) प्रत्याशी देवेन्द्र प्रसाद यादव ने राजद के सुरेन्द्र प्रसाद यादव को मात दी और जीत का चौका लगाया।

वर्ष 2004 के चुनाव में राजद प्रत्याशी देवेन्द्र प्रसाद यादव ने जदयू प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को पराजित किया और पांचवी बार लोकसभा पहुंचे। वर्ष 2009 में जदयू के मंगनी लाल मंडल ने राजद के देवेन्द्र प्रसाद यादव को पराजित किया। कांग्रेस के कृपानाथ पाठक तीसरे नंबर पर रहे। वर्ष 2014 में मोदी लहर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वीरेन्द्र कुमार चौधरी ने राजद के मंगनी लाल मंडल को पराजित किया और पहली बार झंझारपुर में पार्टी का ‘भगवा’ लहराया। जदयू के देवेन्द्र प्रसाद यादव तीसरे नंबर पर रहे। मंगनी लाल मंडल राज्यसभा सांसद भी रहे हैं।वर्ष 2019 के चुनाव में जदयू के रामप्रीत मंडल ने राजद के गुलाब यादव को पराजित किया। (समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक) उम्मीदवार देवेन्द्र प्रसाद यादव चौथे नंबर पर रहे।देवेंद्र प्रसाद यादव केंद्रीय मंत्री भी रहे थे। देवेंद्र प्रसाद यादव ने गरीबों के लिए लाल कार्ड योजना बनाई। इसी योजना के तहत देश के गरीबों को दो रुपए किलो अनाज मिलना शुरू हुआ।

मधुबनी जिले के पूर्वी भाग में स्थित झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र की पहचान मैथिली से है। विश्वप्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग के लिये मधुबनी प्रसिद्ध है।झंझारपुर विधानसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय जगन्नाथ मिश्रा ने लगातार पांच बार वर्ष 1972, 1977,1980,1985 और वर्ष 1990 में जीत हासिल की। वह तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं। उनके पुत्र नीतीश मिश्रा भी झंझारपुर विधानसभा से चार बार फरवरी 2005, अक्टूबर 2005, 2010 और 2020 में जीत हासिल कर चुके हैं।

इस बार के चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल जदयू के वर्तमान सांसद राम प्रीत मंडल चुनावी मैदान में डटे हैं। वहीं इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया गठबंधन) के घटक विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के टिकट पर सुमन कुमार उर्फ सुमन कुमार महासेठ उम्मीदवार हैं।इस बीच राजद से बागी पूर्व विधायक गुलाब यादव, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर चुनाव लड़कर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में लगे हैं। झंझारपुर से टिकट नहीं मिलने से नाराज राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।ऐसे में इंडिया गठबंधन में शामिल वीआईपी उम्मीदवार सुमन कुमार उर्फ सुमन कुमार महसेठ की मुश्किलें बढ़ गयी है।

झंझारपुर सीट पर लड़ाई बेहद दिलचस्प हो गई है और मामला तब त्रिकोणीय हो गया है।झंझारपुर से फिलहाल जदयू के वर्तमान सांसद रामप्रीत मंडल हैं। इस कब्जे को बरकरार करने के लिए जदयू सहित राजग ने पूरी ताकत झोंक रखी है।यहां केन्द्रीय गृह मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह,रामप्रीत मंडल के पक्ष में रैली कर चुके हैं।पिछली बार रामप्रीत मंडल को राजद के गुलाब यादव ने चुनौती दी थी, लेकिन तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। झंझारपुर में जदयू उम्मीदवार राम प्रीत मंडल को मोदी-नीतीश की जोड़ी पर भरोसा है। साथ ही जातीय समीकरण में अति पिछड़ा और सवर्ण वोटर के साथ साथ गैर यादव पिछड़ी जातियों के वोट पर नजर है। वहीं, वीआईपी उम्मीदवार सुमन कुमार महासेठ को राजद के कोर वोटर के साथ-साथ वैश्य वोटर पर आस टिकी हुई है, दूसरी ओर गुलाब यादव के बसपा के टिकट पर मैदान में उतरने से यादवों वोट के टूटने के आसार यदि बने तो इसका खामियाजा वीआईपी उम्मीदवार को हो सकता है।

झंझापुर लोकसभा क्षेत्र के तहत छह विधानसभा क्षेत्र खजौली, बाबूबरही, राजनगर (सु), झंझारपुर, फुलपरास और लौकहा विधानसभा क्षेत्र आते हैं।खजौली, राजनगर (सु) और झंझारपुर में भाजपा का कब्जा है। फुलपरास और बाबूबरही में जदयू जबकि लौकहा में राजद का कब्जा है। इस सीट पर अब तक हुये लोकसभा चुनावों में जनता दल और जनता दल यूनाईटेड ने तीन-तीन बार, राजद ने दो बार, भारतीय लोक दल, जनता पार्टी (सेक्यूलर), कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी ने एक-एक बार जीत हासिल की है।

झंझारपुर संसदीय सीट से जदयू, विकासशील इंसान पाटी,बहुजन समाज पार्टी और चार निर्दलीय समेत 10 प्रत्याशी चुनावी मैदान में है। झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 19 लाख 86 हजार 440 है। इनमें 10 लाख 36 हजार 772 पुरूष, 09 लाख 49 हजार 780 महिला और 88 थर्ड जेंडर हैं, जो तीसरे चरण में 07 मई को होने वाले मतदान में इन प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। जदयू उम्मीदवार राम प्रीत मंडल को अपनी साख बचाने की चुनौती है तो वीआईपी प्रत्याशी श्री महासेठ और बसपा प्रत्याशी श्री यादव को साख बनाने की चुनौती है। देखना दिलचस्प होगा कि किसकी साख बनती या बिगड़ती है।यह तो 04 जून को नतीजे के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा।