न्यायालय मप्र के मंत्री मिश्रा को विधायक के रूप में अयोग्य ठहराने से जुड़े मामले में सुनवाई करेगा

निर्वाचन आयोग की याचिका पर 11 अक्टूबर को सुनवाई करने पर सोमवार को सहमत हो गया

न्यायालय मप्र के मंत्री मिश्रा को विधायक के रूप में अयोग्य ठहराने से जुड़े मामले में सुनवाई करेगा

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को विधायक के रूप में अयोग्य ठहराने के 2017 के फैसले को रद्द करने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ निर्वाचन आयोग की याचिका पर 11 अक्टूबर को सुनवाई करने पर सोमवार को सहमत हो गया। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने मिश्रा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आर्यमा सुंदरम की इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि याचिका पर नवंबर के बाद सुनवाई की जाए। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव नवंबर के आसपास संभावित हैं। पीठ ने कहा कि मिश्रा से हार का सामना करने वाले कांग्रेस नेता राजेंद्र भारती ने भी एक अर्जी दायर कर मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया है।

सुंदरम ने कहा कि इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं है क्योंकि उच्च न्यायालय का फैसला 2018 का है और इस पर विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद भी सुनवाई हो सकती है। हालांकि, भारती का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि विधानसभा चुनाव शुरू होने से पहले मामले की सुनवाई की जरूरत है। इसके बाद पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ निर्वाचन आयोग की याचिका पर सुनवाई के लिए 11 अक्टूबर की तारीख तय की। उच्च न्यायालय ने 18 मई, 2018 को ‘पेड न्यूज’ के आरोप में मिश्रा को अयोग्य ठहराने के निर्वाचन आयोग के फैसले को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि उन्होंने अपने पक्ष में समाचार लेखों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खर्च किया था।

निर्वाचन आयोग ने ‘पेड न्यूज’ के आरोप में 23 जून, 2017 को मिश्रा को तीन साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था और उन्हें 2008 के राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान मीडिया में प्रकाशित लेखों और विज्ञापनों के संबंध में गलत चुनाव खर्च अकाउंट दाखिल करने का दोषी ठहराया था। निर्वाचन आयोग का आदेश राजेंद्र भारती की शिकायत पर आया था, जिन्होंने 2008 का विधानसभा चुनाव मिश्रा के खिलाफ लड़ा था। दतिया विधानसभा क्षेत्र से जीतने वाले मिश्रा ने 12 जुलाई, 2017 को निर्वाचन आयोग के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था, जिसमें दावा किया गया था कि कार्यवाही में देरी हुई और यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं था कि उन्होंने ‘पेड न्यूज’ लेखों को अधिकृत किया था। शीर्ष अदालत ने 17 जुलाई, 2017 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले शीघ्र निर्णय लेने के लिए मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया था।