ब्रह्मज्ञान को जानना और उसके अनुसार जीना ही वास्तविक भक्ति का मार्ग: संत फ़क़ीर दास

इस संत समागम में आस-पास गांवों के अलावा जिलेभर से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लेकर संतो के प्रवचनों को श्रवण किया।

ब्रह्मज्ञान को जानना और उसके अनुसार जीना ही वास्तविक भक्ति का मार्ग: संत फ़क़ीर दास

यमुनानगर । ऐतिहासिक कपालमोचन पर स्थित संत शिरोमणी श्री गुरु रविदास चेरिटेबल ट्रष्ट में हर साल की भांति विशाल संत समागम का आयोजन किया हुआ जिसमें पंजाब के पांडवा श्री हंसराज डेरा के महान संत जसविंद्र सिंह जी महाराज ने मुख्यातिथि के रूप में  शिरकत की। इस संत समागम में आस-पास गांवों के अलावा  जिलेभर से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लेकर संतो के प्रवचनों को श्रवण किया। भारी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को अपने प्रवचनों से निहाल करते हुए संत जसविंद्र सिंह जी महाराज ने कहा कि ब्रह्मज्ञान को जीवन का आधार बनाकर निराकार से जुड़े रहना और मन में उसका प्रतिपल स्मरण करते हुए, सेवा भाव को अपनाकर जीना ही वास्तविक भक्ति है। उन्होंने कहा कि पुरातन संतों एवं भक्तों का जीवन भी ब्रह्मज्ञान से जुड़कर ही सार्थक हो पाया हैं।

वहीँ आयोजित संत समागम के अवसर पर एकत्रित विशाल जन-समूह को सम्बोधित करते हुए बाबा फ़क़ीर दास जी महाराज ने कहा कि ब्रह्मज्ञान की दृष्टि से जीवन की दशा एवं दिशा एक समान हो जाती है। संत जी फ़रमाया कि जब हमें अपने निज घर की जानकारी हो जाती है तभी हमारी आत्मा मुक्त अवस्था को प्राप्त कर लेती है। उसके उपरांत ब्रह्मज्ञान की दिव्य रोशनी मन में व्याप्त समस्त नकारात्मक भावों को मिटाकर भयमुक्त जीवन जीना सिखाती है और तभी हमारा लोक सुखी एवं परलोक सुहेला होता है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मज्ञान द्वारा कर्मो के बंधनों से मुक्ति संभव है क्योंकि इससे हमें सतगुरु की रजा में रहना आ जाता है। जीवन का हर पहलू हमारी सोच पर ही आधारित होता है जिससे उस कार्य का होना न होना हमें उदास या चिंतित करता है इसलिए इसकी मुक्ति भी निराकार का आसरा लेकर ही संभव है। उन्होंने कहा कि ज्ञानवान आत्मपद को पाकर आनंदित होता है और वह आनंद कभी दूर नहीं होता, क्योंकि उसको उस आनंद के आगे अष्टसिद्धियाँ तृण के समान लगती हैं। इस मौके पर संत मैनपाल जी महाराज, संत निर्मल जी महाराज, संत मेहर दास जी महाराज, सेवादार ऋषिपाल, डॉ. दर्शन लाल, मास्टर ज्ञानेश्वर दास, रिंकू बम्भोल, मास्टर रमेश, मास्टर सिया राम समेत भारी संख्या में डेरे से जुड़े सेवादार मौजूद रहे।